Kaifi Azmi

Ghazal – सुना करो मेरी जान इन से उन से

Ghazal – सुना करो मेरी जान इन से उन से

सुना करो मेरी जान, इन से उन से अफ़साने

सब अजनबी हैं यहाँ , कौन किसको पहचाने

यहाँ से जल्द गुज़र जाओ काफिलेवालो !

हैं मेरी प्यास के फूँके हुए ये वीराने ।

मेरे जूनून-ए-परस्तिश से तंग आ गए लोग

सुना है बंद किए जा रहे हैं बुतखाने

जहाँ से पिछले पहर कोई तश्न काम उट्ठा

वहीँ पे तोड़े हैं यारों ने आज पैमाने

बहार आए तो मेरा सलाम कह देना

मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने

हुआ है हुक्म कि कैफ़ी को संगसार करो

मसीह बैठे हैं छुप के कहाँ ख़ुदा जाने।

Ghazal – सुना करो मेरी जान इन से उन से
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