Bekari

बेकारी

बेकारी - Kaifi Azmi

यह  बाज़ू,  यह  बाज़ू  की  मेरे  सलाबत1

यह सीना, यह गर्दन, यह क़ुव्वल, यह सेहत

यह  जोश-ए-जवानी,  यह  तूफ़ान-ए-जुरअत

ब – ई – वस्फ़2  कुछ  भी  नहीं मेरी क़ीमत

हयात-ओ-अमल3 का गुनहगार हूँ मैं

बड़ा दुख है मुझको कि बेकार हूँ मैं

यह गेती4 है जिसमे दफ़ीने5 मकीं6 हैं

वह दरिया है जिसमे गुहर7 तहनशीं हैं

वह जंगल है जो रश्क-ए-ख़ुल्द-ए-बरीं8 हैं

ये फ़ितरत के इन्आम मेरे नहीं हैं

तिहीदस्त9-ओ-महरूम10-ओ-नादार11 हूँ मैं

बड़ा दुख है मुझको कि बेकार हूँ मैं

पुकारें ज़मीनों के कानों12 के मालिक

बढ़ें जगमगाते दुकानों के मालिक

कहाँ मैं कहाँ कारखानों के मालिक

ख़रीदें छलकते ख़ज़ानों के मालिक

कि मेहनत-फरोशी को तैयार हूँ मैं

बड़ा दुख है मुझको कि बेकार हूँ मैं

जो मौक़ा मिले सर फ़लक13 का झुका दूँ

ज़मीं पर सितारों की शमएं जला दूँ

ख़ज़फ़14 को दमक दे के सूरज बना दूँ

तरक्क़ी को कुछ और आगे बढ़ा दूँ

कि चालाक-ओ-हुशियार-ओ-बेदार15 हूँ मैं

बड़ा दुख है मुझको कि बेकार हूँ मैं

ज़रूरत है मेरी हयात-ओ-बक़ा16 को

ज़रूरत है मेरी ज़मीं को, फ़िज़ा को

ज़रूरत है हर इब्तिदा17 इन्तिहा18 को

ज़रूरत है तहजीब को इर्तिक़ा19 को

ग़लत है कि इक हर्फ़-ए-तकरार20 हूँ मैं

बड़ा दुख है मुझको कि बेकार हूँ मैं

कहाँ ज़रपरस्ती21 कहाँ क़द्रदानी22

कहाँ लूट ग़ारत कहाँ मेहरबानी

यह बे-आब हस्ती, यह भूखी जवानी

यह यख़बस्ता23 बिजली, यह इस्तादा24 पानी

रुकी तेग़ हूँ मैं, मुड़ी धार हूँ मैं

बड़ा दुख़ है मुझको कि बेकार हूँ मैं

मिरी हड्डियों से बने हैं ये ऐवाँ25

मिरी खून से हैं यह सैल-ए-बहाराँ26

मिरी मुफ़लिसी से ख़ज़ाने हैं ताबाँ27

मिरी-बे-ज़री28 से हैं सिक्के दरख़्शां29

इस आईन:-ए-ज़र30 का जंगार31 हूँ मैं

बड़ा दुख है मुझको कि बेकार हूँ मैं

कहाँ तक यह बिलजब्र32 मर-मरके जीना

बदलने लगा है अमल का क़रीना

लहू में है खौलन जबीं पर पसीना

धड़कती है नब्ज़ें सुलगता है सीना

गरज ऐ बग़ावत, कि तैयार हूँ मैं

बड़ा दुख है मुझको कि बेकार हूँ मैं

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1 – कठोरता, गठन 2- इस गुण के साथ  3- जीवन और कर्मठता  4- धरती  5- गड़ी हुई निधि  6- स्थित  7- मोती  8- सप्तम स्वर्ग को फीका कर देनेवाला  9- खाली हाथ  10- वंचित  11- कंगाल  12- खदानों  13- आकाश  14- ठीकरा  15- सजग, जागृत  16- जीवन और नित्यता  17- आदी, आरम्भ  18- अन्त  19- विकास  20- दोहराया गया अक्षर  21- धन की उपासना  22- गुण की परख  23- बर्फ़ की तरह जमा हुआ  24- ठहरा हुआ  25- महल  26- वसंत ऋतु(सुख समृद्धि) की धारा  27- चमकदार  28- धनहीनता  29- चमकदार  30- धन का दर्पण  31- कांच को दर्पण बनानेवाली सिन्दूरी पालिश  32- बलात्

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